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बिचैलियों के हाथों न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर गेहूं बेचने को मजबूर किसान- अजय कुमार लल्लू

Writer's picture: statetodaytvstatetodaytv



सरकारी गेहूं क्रय केंद्रों पर बिचैलियों का बोलबाला-अजय कुमार लल्लू
खाद्य रसद विभाग द्वारा नामित 11 एजेंसियों में 7 के ही क्रय केंद्र संचालित-अजय कुमार लल्लू
कोविड काल मे किसानों के साथ क्रय केंद्रों पर हो रहा उत्पीड़न-अजय कुमार लल्लू
किसानों की शिकायत पर सरकार गम्भीर नहीं-अजय कुमार लल्लू
यूरिया एवं डीएपी के बढ़े दामांे से किसानों के समक्ष आएगा गम्भीर संकट-अजय कुमार लल्लू



उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार पर किसानों से छल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कोरोना महामारी के संकट के समय सरकारी क्रय केंद्रों पर किसानों के गेहूं खरीद में अनेक प्रकार की कमियां निकालकर उन्हें बिचैलियों के हाथों बेंचने के लिये मजबूर किया जा रहा है, वहीं क्रय केंद्र बिचैलियों व दलालों के पूरी तरह नियंत्रण में संचालित हो रहे हैं। सरकारी पोर्टल पर किसानों की शिकायत का भी संज्ञान नहीं लिया जा रहा। क्रय केंद्रों पर फर्जी पंजीकरण कर दलालों, बिचैलियों के हिसाब से गेहूं खरीद कर किसानों के अधिकारों पर डाका डाला जा रहा है। महामारी के दौर में डीएपी एवं यूरिया के बढ़े बेतहाशा दामों से संकटग्रस्त किसानों के साथ यह व्यवहार कदापि शोभनीय नहीं, बल्कि सरकार के संरक्षण में उसके शोषण व उत्पीड़न का है। यह उत्पीड़न, शोषण रोकने का काम सरकार का है, लेकिन वह शोषकों को संरक्षण देने की भूमिका निभा रही है।


लल्लू ने कहा कि क्रय केंद्रों पर कई-कई दिन ट्रैक्टर-ट्रालियों पर किसान अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हैं। जब उनका नम्बर आता है तो गेहूं में अनेक प्रकार की कमियां निकालकर लेने से इन्कार कर दिया जाता है, जिसके बाद केंद्रों में बैठे दलालों, बिचैलियों के हाथों उसे अपनी उपज एमएसपी 1975 रुपये प्रति क्विंटल के बजाय 1400 से 1600 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बेंचना पड़ रहा है। किसानों को उपज का लागत मूल्य न मिलने के कारण उसके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा होगा और वह कर्ज में डूब जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार गांव और गरीब किसान को महामारी के संकट के साथ दलालों के चंगुल में फंसाकर उसे दोहरी मार झेलने के लिये विवश कर रही है।


अजय लल्लू ने आरोप लगाया कि खाद्य रसद विभाग द्वारा नामित 11 एजेंसियों में 7 के ही द्वारा क्रय केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। क्रय केंद्रों पर दलालों व सत्ताधारी दल के नेताओं की सिफारिश पर किसानों का गेहूं खरीद रहे हैं और उनसे रकम वसूली हो रही है। उन्होंने कहा कि दलालों, बिचैलियों के नेक्सस ने क्रय केंद्रों को पूरी तरह नियंत्रित कर रखा है। स्थिति यह है कि दलालों, नेताओं को दलाली देकर क्रय केंद्र में किसान के गेहूं की खरीद हो सकती है या औने-पौने दामों में बिचैलिये के हाथ बेंचने की मजबूरी उसके सामने है।


हर मामले में झूठ बोलकर गुमराह करने वाली भाजपा सरकार कोविड काल में किसानों के साथ क्रय केंद्रों पर हो रहे शोषण व उत्पीड़न की अनदेखी व गम्भीरता का प्रदर्शन तमाम शिकायतों के बाद भी क्यों कर रही है? सरकार की अनदेखी का सीधा मतलब है कि उसका दलालों, बिचैलियों को सीधा संरक्षण है। किसानों को राज्य की भाजपा सरकार बेबस बनाने पर तुली हुई है। सरकार का यह रवैया किसी भी तरह से उचित नही है। उसे चाहिये कि क्रय केंद्रों पर आने वाले किसानों के गेहूं खरीद सुनिश्चित की जाए, कमियां बताकर उसकी उपज दलालों, बिचैलियों के हाथों बेंचने को विवश मत किया जाए। किसानों की शिकायतों पर तत्काल कार्यवाही की जाए।


टीम स्टेट टुडे


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