माना कि वो दौर चला गया जब रेलमंत्री रहते हुए एक दुर्घटना से आहत होकर तत्कालीन रेलमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अपना इस्तीफा दे दिया था।
फिर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह कई हाईप्रोफाइल मंत्रियों का इस्तीफा लिया उससे ये तो साफ हो गया कि सरकार का मुखिया ना सिर्फ परफार्मेंस चाहता है बल्कि कोताही उसे कतई बर्दाश्त नहीं।
पहले चला डंडा
स्वास्थ्य का विषय राज्य का विषय होता है बावजूद इसके कोरोना की दूसरी लहर में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन निपट गए। देश के किसी राज्य में किसी स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा ना लिया गया ना दिया गया लेकिन मोदी नहीं चूके और कैबिनेट विस्तार से पहले स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा ले लिया।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म के साथ नए कानूनों के अनुपालन में रविशंकर प्रसाद फेल हो गए। एक निजी कंपनी ट्विटर ने देश के आईटी मंत्री का ही एकाउंट ब्लाक कर दिया। दूसरी तरफ कानून मंत्री के तौर पर पूर्वी दिल्ली के दंगों में भूमिका निभाने वाले छात्रों के भेस में दहशतगर्द अदालत से जमानत पा गए। ये मोदी को नाकाबिले बर्दाश्त हुआ। रविशंकर प्रसाद भी चले गए।
कोरोनाकाल में विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष सरकार पर हमलावर रहा और सरकार के प्रवक्ता और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर मौके पर दगे हुए कारतूस निकले वो भी निपट गए।
प्रधान सेवक और चौकीदार की जवाबदेही
ऐसे ही अन्य इस्तीफों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ संदेश दे दिया कि मोदी सरकार जनता के प्रति जवाबदेह है और मंत्रालय संभाल रहे मंत्री अगर अपनी जिम्मेदारी ना निभा पाए तो उनका जाना होगा। हर पांच साल में जनता सरकार की समीक्षा करती है और उसी आधार पर फैसला देती है।
राज्य की गणित
मंत्रिमंडल में विस्तार और फेरबदल के बहाने प्रधानमंत्री ने 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों का लक्ष्य साधा है। मिशन बंगाल को वरीयता देते हुए जॉन बराला, निशीथ प्रमाणिक समेत चार चेहरों को जगह दी है। यह वहीं जॉन बराला है कि जो पश्चिम बंगाल से नार्थ बंगाल को अलग करने की मांग कर रहे हैं। पुरुषोत्तम रुपाला को प्रमोट करके कैबिनेट का दर्जा देकर गुजरात की अहमियत को बनाए रखा है। नारायण राणे से महाराष्ट्र, ज्योतिरादित्य सिंधिया से मध्यप्रदेश, बिहार में पशपति कुमार पारस, राम चंद्र प्रसाद सिंह और जद(यू) के तीन सांसद, एनडीए की सरकार का मंतव्य स्पष्ट किया।
पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और कर्नाटक से 4-4 नए मंत्री बनाए गए हैं। इसके अलावा गुजरात से 3 और मंत्रियों को जगह मिली है। इससे जाहिर होता है कि बीजेपी बंगाल को लेकर कितनी गंभीर है। महाराष्ट्र में भी बीजेपी शिवसेना से अलग होने के बाद अपनी ताकत बढ़ाने में जुटी हुई है। वहीं बीजेपी ने दक्षिण के अपने इकलौते किले कर्नाटक का भी खास ध्यान रखा है। पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात से 3 नए मंत्री बने हैं।
मंत्रिपरिषद विस्तार में उन राज्यों पर खास फोकस रखा गया है जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। मंत्रिपरिषद विस्तार में सबसे ज्यादा 7 नए चेहरे यूपी से ही रखे गए हैं। इनमें महाराजगंज से सांसद पंकज चौधरी, मोहनलालगंज से सांसद कौशल किशोर, आगरा से एमपी एसपी सिंह बघेल, खीरी से सांसद अजय मिश्र, पूर्वी सीएम कल्याण सिंह के खास और राज्यसभा सांसद बीएल वर्मा और जालौन से सांसद भानु प्रताप वर्मा को भी जगह दी गई है। इसके अलावा बीजेपी के सहयोगी अपना दल (एस) की प्रमुख और मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल को भी फिर से केंद्र में मौका दिया गया है।
मंत्रिपरिषद में पंजाब से कोई नया चेहरा तो शामिल नहीं हुआ लेकिन हरदीप पुरी का प्रमोशन किया गया है। उत्तराखंड से अजय भट्ट को जगह दी गई है। मणिपुर में भी अगले साल चुनाव है। वहां से राजकुमार रंजन सिंह को मंत्रिपरिषद में शामिल कर स्थानीय सियासी गणित को साधने की कोशिश की गई है।
नतीजों का सम्मान और नया आसमान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वफादार, परिश्रमी और परिणाम देने वाले नेताओं को विशेष सम्मान दिया। बीजेपी संगठन से भूपेंद्र यादव, केंद्रीय मंत्रियों में राज कुमार सिंह, हरदीप पुरी, अनुराग ठाकुर, जी किशन रेड्डी, पुरुषोत्तम रुपाला, मनसुख मंडाविया का प्रमोशन किया।
युवा जोश
मोदी मंत्रिपरिषद में शामिल नए 36 मंत्रियों में 8 ऐसे हैं जिनकी उम्र 50 साल से कम है। पश्चिम बंगाल के कूचबिहार से पहली बार सांसद बने निशिथ प्रमाणिक सबसे कम उम्र के मंत्री हैं। उनकी उम्र महज 35 साल है। वहीं बंगाल के ही बनगांव से पहली बार सांसद बने शांतनु ठाकुर की उम्र 38 साल है। वह बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी के बांग्लादेश दौरे पर उनके साथ गए थे। इनके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया (50), अश्विनी वैष्णव (50), अनुप्रिया पटेल (40), भारती प्रवीण पवार (42), जान बरला (45) और एल. मुरुगन (44) की उम्र 50 साल या उससे कम है। मंत्रिपरिषद विस्तार के बाद अब टीम मोदी की औसत उम्र 58 साल हो गई है।
क्षेत्रीय संतुलन
मोदी मंत्रिपरिषद विस्तार में क्षेत्रीय संतुलन को भी साधने की कोशिश की गई है। हिंदी हार्टलैंड से लेकर पूर्वोत्तर, पश्चिम से लेकर पूर्वी भारत और दक्षिण भारत तक को प्रतिनिधित्व देने की भरपूर कोशिश की गई है। दक्षिण में कर्नाटक के 4 मंत्रियों के अलावा तमिलनाडु से एल. मुरुगन को भी मंत्री बनाया गया है। मुरुगन संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। उन्हें थावर चंद गहलोत के इस्तीफे के बाद खाली हुई सीट पर बाकी के कार्यकाल के लिए राज्यसभा भेजा जा सकता है। गहलोत का राज्यसभा कार्यकाल 2024 तक था।
महिलाओं की भागीदारी बढ़ी
मोदी मंत्रिपरिषद विस्तार में 7 महिलाओं को भी जगह दी गई है। इनमें मीनाक्षी लेखी, अनुप्रिया पटेल, अन्नपूर्णा देवी, भारती प्रवीण पवार, प्रतिमा भौमिक, दर्शना विक्रम जरदोश और शोभा करंदलाजे शामिल हैं। इस तरह अब टीम मोदी में महिला मंत्रियों की संख्या 11 हो गई है।
प्रशासनिक अनुभव और प्रोफेशनल्स को भी जगह
जेडीयू कोटे से मंत्री बने आरसीपी सिंह और ओडिशा से बीजेपी सांसद अश्विनी वैष्णव नौकरशाह रह चुके हैं। आरसीपी राजनीति में आने से पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार के प्रमुख सचिव रहे थे। वहीं, अश्विनी वैष्णव 1994 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं। इसके अलावा नए मंत्रियों में 4 एमबीबीएस/एमएस हैं। नए चेहरों में कुछ ने पीएचडी किया हुआ है तो कुछ ने बीटेक, एमटेक, लॉ और एमबीए किया हुआ है। इस तरह टीम मोदी में अब कुल 13 वकील, 6 डॉक्टर, 5 इंजीनियर, 7 नौकरशाह, 7 पीएचडी और 3 एमबीए डिग्रीधारी शामिल हैं।
नए मंत्रियों में 26 लोकसभा, 8 राज्यसभा के सदस्य
जिन नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली उनमें 26 लोकसभा के सदस्य हैं जबकि 8 राज्यसभा से हैं। इनमें से मुरुगन और सोनोवाल ऐसे नेता है जो संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं।
नरेंद्र मोदी होने का मतलब
मंत्रिपरिषद के विस्तार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार, अपनी पार्टी, अपने सहयोगियों और पूरे देश को बहुत मजबूती से ये संदेश दिया है कि उनकी सरकार में जो हो रहा है उस पर उनकी नजर है। वो बिना दबाव के अपनी सरकार चला रहे हैं। वो अच्छे काम का इनाम और खराब की सजा तय करना जानते हैं और कर भी दिया। मोदी ने अपनी मंत्रिपरिषद की पूरी ओवरहालिंग से ये भी स्पष्ट किया है कि अगर उन्होंने जनता से अपनी जवाबदेही तय कर रखी है तो उनकी सरकार के मंत्री भी जवाबदेह हैं। वो भले सीधे जनता को जवाब ना दे लेकिन प्रधानमंत्री को उनसे उनके काम पर जवाब चाहिए।
जिसने अपने काम से जवाब दिया वो इस विस्तार के बाद प्रधानमंत्री के इनाम से लाजवाब है और जो अपने काम का हिसाब नहीं दे पाया वो सजा पाकर लाजवाब है।
इसलिए मोदी – प्रधानमंत्री के रुप में प्रधान सेवक भी हैं और अपनी ही सरकार में प्रधानमंत्री के रुप में चौकीदार भी।
..और शायद यही वजह है कि मोदी को लोग पसंद करते हैं, मोदी को लोग नापसंद करते हैं लेकिन इग्नोर कोई नहीं कर पाता।
टीम स्टेट टुडे
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