गणतंत्र दिवस मनाने के लिए दिल्ली के साथ साथ देश भर में तैयारियां चरम पर हैं। चप्पे चप्पे पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम सुनिश्चित किए जा रहे हैं। 26 जनवरी का इंतजार तो हर साल राजपथ पर बनते इतिहास के साथ लोगों के जहन में ताजा हो जाता है। लेकिन क्या आप 26 जनवरी से पहले 24 जनवरी का सच भी जानते हैं? अगर नहीं तो स्टेट टुडे टीवी आपके लिए लेकर आया है जानकारी और भारतीय इतिहास का वो पन्ना जिसे हर पीढ़ी के लिए जानना जरुरी है।
क्या हुआ था 24 जनवरी को -
26 जनवरी को भारत ने अपने लिखित संविधान को अपनाकर इसको लागू किया था और भारत को एक गणतांत्रिक देश का दर्जा मिला था। लेकिन इससे दो दिन पहले यानी 24 जनवरी को क्या हुआ था?
दरअसल 24 जनवरी 1950 को ही 284 सदस्यों ने इसको अपनाने और लागू करने के समर्थन में अपने हस्ताक्षर किए थे। इसके अलावा आज के दिन ही संविधान सभा ने उॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के तौर पर देश के पहले राष्ट्रपति का चुनाव किया था। इस लिहाज से आज का दिन काफी खास है।
सवाल ये भी है कि जब 24 जनवरी को सदस्यों ने भारतीय संविधान को अपनाने और लागू करने के समर्थन में अपने हस्ताक्षकर कर दिए तो इसे तत्काल लागू क्यों नहीं किया गया।
दरअसल 26 जनवरी 1930 को रावी नदी के तट पर पहली बार पूर्ण स्वराज की मांग की गयी थी। इसी कारण रावी की शपथ को यादगार बनाने के लिये गणतंत्र दिवस की तारीख 26 जनवरी तय की गई।
क्या थी रावी की शपथ?
1930 में रावी नदी के तट पर तत्कालीन कांग्रेस ने अखण्ड भारत व पूर्ण स्वराज्य का संकल्प लिया। लेकिन कांग्रेस ने सिर्फ 17 वर्षों में ही इस शपथ को भुला दिया और देश की जनता से द्रोह कर विभाजन को स्वीकार किया। 15 अगस्त 1947 को भारत के इस विभाजन में तीन करोड़ से अधिक लोग विस्थापित हुए, इस दौरान 10 लाख से अधिक हत्याएं हुई।
क्या सिर्फ 1947 में विभाजित हुआ भारतवर्ष
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि बीते 2500 वर्षों में भारत के हुए विभाजनों में से 1947 का विभाजन 24वां विभाजन था।
ज्यादा पीछे ना भी जाएं तो 1874 से आज तक भारत के कई विभाजन हुए और कई देश बने। आज का युवा सोचेगा कि 1874 से आज तक विभाजनों में से एक! अकल्पनीय।
भारत का कौनसा हिस्सा कब अलग हुआ –
अफगानिस्तान (1874), नेपाल (1904), भूटान (1906), तिब्बत (1914), श्रीलंका (1935), बर्मा (1937), पाकिस्तान (1947), बंगला देश (1947), पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर POJK (1948), अक्साई चीन (1962) ।
भारत वर्ष इतना विभाजित हुआ तो पहले क्या था? इसका उत्तर निम्न श्लोक से मिलता है –
उत्तरं यत्त समुदस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्।
वर्षं तद भारतं नाम भारती यत्र संतति।।
अर्थात समुद्र के उत्तर में और हिमालय के दक्षिण में जो भूभाग है, इसका नाम भारत वर्ष है और इस पर रहने वाला समाज इसकी संतति भारतीय कहलाती है।
पश्चिम में अफगानिस्तान से लेकर पूर्व में अरुणाचल तक, उत्तर में माउंट एवरेस्ट से लेकर श्रीलंका से आगे सुदर दक्षिणपूर्व तक भारत वर्ष था। इतना विशाल भूभाग विभाजित होते होते आज की स्थिति तक पहुंच गया। 1857 से पूर्व भारत की भूमि 83 लाख वर्ग किलोमीटर थी और आज 33 लाख वर्ग कि०मी० है। बात केवल यही तक नहीं रुकी। अरुणाचल प्रदेश पर चीन अपना कब्जा जमाना चाहता है। बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल और असम में घुसपैठ निरंतर हो रही है। पश्चिम बंगाल के तीन जिले जिनको ‘चिकन नेक’ भी कहा जाता है, उस चिकन नेक में योजनाबद्ध तरीके से मुस्लिम आबादी बढ़ाई जा रही है ताकि उस क्षेत्र को अलग कर दिया जाए और भारत का संबंध पूर्वोत्तर के सात राज्यों से टूट जाए। पंजाब में आज भी खालिस्तान की मांग कभी कभी उठती हुई दिखाई देती हैं।
क्या भारत का विभाजन स्थाई है?
नहीं। महर्षि अरविंद ने कहा है कि यह विभाजन अप्राकृतिक है इसलिए यह लंबे समय तक नहीं रहेगा। क्या विभाजन समाप्त हो सकता है? हां, हो सकता है। अपने ही देश में 1905 में अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन किया था। बंगाल का ही क्यों? क्योंकि बंगाल स्वतंत्रता संग्राम की गतिविधियों का बड़ा केंद्र था इसलिए उसकी शक्ति कम करने के लिए ऐसा अंग्रेजों ने किया था परंतु वहां के लोगों के प्रयास के कारण अंग्रेजी सरकार ने 1911 में बंग-भंग को समाप्त कर दिया था तो जब बंग-भंग हो सकता है तो देश का बाकी विभाजन भी समाप्त हो सकता है।
राष्ट्रगान को मिली मंजूरी
सिर्फ इतना ही नहीं 24 जनवरी 1950 को ही संविधान सभा ने भारत के राष्ट्रगान को अपनाने की मंजूरी दी थी।
देश के इस राष्ट्रगान को गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगौर ने लिखा था। वे देश और दुनिया के पहले व्यक्ति हैं जिनके द्वारा रचित दो रचनाओं को दो अलग-अलग देशों ने अपने राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया। इनमें से एक भारत है तो दूसरा बांग्लादेश है। भारत द्वारा राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया गया 'जन गण मन, अधिनायक जय हे' को मूल रूप से गुरुदेव ने बांग्ला भाषा में लिखा था।
26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू होने के साथ ही संविधान सभा को भंग कर दिया गया था। 1952 में आज चुनाव कर वाए जाने के बाद पहली बार देश की संसद का गठन किया गया था। हालांकि इस दौरान भी संविधान सभा भंग होने के बावजूद अस्थायी तौर पर काम कर रही थी। 1952 और फिर 1957 में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को दोबारा राष्ट्रपति के तौर पर चुना गया था।
नेशनल गर्ल चाइल्ड डे
इसके अलावा एक और दिन के लिए भी 24 जनवरी का दिन बेहद खास है। दरअसल इसी दिन को नेशनल गर्ल चाइल्ड डे के रूप में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 2008 में हुई थी। इसको मनाने के पीछे सरकार का मकसद लड़कियों के जन्म को लेकर लोगों की मानसिकता को बदलना था। आपको बता दें कि मौजूदा समय में भी भारत में कई जगहों पर लड़कियों जन्म के बाद मार देने के घृणित कृत्य सामने आते रहते हैं। इसी सोच से उबारने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इस दिन को मनाने का फैसला लिया था।
ऐतिहासिक है जनवरी का महीना
दिलचस्प तो ये है कि जनवरी का पूरा माह भारतीय इतिहास में काफी खास रहा है। 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन को नेशनल यूथ डे के तौर पर मनाया जाता है। वहीं 15 जनवरी को आर्मी डे होता है। 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन होता है।
टीम स्टेट टुडे
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