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दशहरे के दिन क्यों होता है शस्त्र पूजन ? जानिए, रक्षामंत्री ने सेना के शस्त्रों को क्यों पूजा



दशहरे पर भारतीय सेना सहित निजी रुप से घरों में लाइसेंसी हथियार रखने वाले शस्त्र पूजा जरुर करते हैं। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी आज सेना के शस्त्रों की विधि विधान से पूजा की। आज आपको बताते हैं कि दशहरे पर शस्त्र पूजा क्यों की जाती है।


दशहरा आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। नौ दिन के नवरात्र के बाद दशमी जिसे विजयादशमी भी कहते हैं इसी दिन देवी अपराजिता की पूजा की जाती है। इस पजा में मां रणचंडी के साथ रहने वाली योगनियों जया और विजया को पूजा जाता है। रामयाण और महाभारत काल से इस पूजा का चलन रहा है। भारतीय सेना आज भी इस परंपरा को निभाती है। और दशहरे के दिन अस्त्र शस्त्र पूजा की जाती है।

प्राचीन काल से है शस्त्र पूजन परंपरा


दशहरे के दिन शस्त्र पूजन की परंपरा का विधान प्राचीन काल से ही चला आ रहा है। प्राचीन समय में राजा अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए शस्त्र पूजन करते हथे। श्त्रुओं से लड़ने के लिए शस्त्रों का चुनाव भी इसी दिन होता है। दशहरा मूल रुप से शक्ति का उत्सव है । शक्ति के रुप में आज सैनिकों के पास आधुनिक और अत्याधुनिक हथियार हैं। जो देश और समाज की रक्षा करते हैं। इसलिये शस्त्रों की पूजा की जाती है।

दशहरे के दिन सेना करती है शस्त्र पूजा



हर वर्ष दशहरे के दिन भारतीय सेना शस्त्र पूजन करती है। इस पूजन में भगवान राम के साथ जया और विजया देवियों की पूजा की जाती है। जया और विजया देवियों की पूजा के बाद अस्त्र शस्त्रो की पूजा की जाती है। बताया जाता है कि भगवान राम इन्हीं दोनों देवियों की पूजा की थी। इसके बाद भगवान राम ने अपने अस्त्र शस्त्र का पूजन किया और फिर युद्ध करने के लिए निकले और लंका पर विजय प्राप्त की।


कैसे होती है शस्त्र पूजा


शस्त्र पूजा में सबसे पहले शस्त्रों को एकत्र किया जाता है फिर उन पर गंगाजल छिड़का जाता है। इसके बाद शस्त्रों पर हल्दी और कुमकुम का तिलक लगाया जाता है। इसके बाद पुष्प अर्पित किए जाते हैं। शस्त्र पूजा में शमी के पत्तों का विशेष महत्व होता है। शस्त्र पूजा में शमी के पत्ते भी शस्त्रों पर चढ़ाए जाते हैं। इसके बाद महाकाली स्त्रोत का पाठ किया जाता है। पाठ के बाद शस्त्रों की आरती की जाती है और भोग लगाया जाता है।


पूजन के बाद उपयोग आवश्यक



शस्त्र पूजन परंपरा के अनुसार शस्त्र के स्वामी को इसका इस्तेमाल भी करना चाहिए। ये कार्य अपनी जगह और समय के मुताबिक सांकेतिक रुप से भी संपन्न किया जा सकता है ताकि किसी की सुरक्षा खतरे में ना पड़े। शस्त्र पूजन में बच्चों को शामिल नहीं किया जाता है ताकि उन्हें किसी भी तरह का भ्रम या प्रोत्साहन ना मिले।

विजयादशमी के मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन को सख्त संदेश देते हुए कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि भारतीय सेना किसी को भी हमारे देश की एक इंच भी जमीन नहीं लेने देगी। राजनाथ सिंह ने ये टिप्पणी पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में सुकना युद्ध स्मारक में शस्त्र पूजा करने के बाद की। इस अवसर पर सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने भी उनके साथ मौजूद थे।

रक्षा मंत्री ने कहा, 'भारत चाहता है कि तनाव ख़त्म हो और शांति स्थापित हो, लेकिन कभी-कभी नापाक गतिविधियां होती हैं। मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि हमारी सेना भारत की एक इंच ज़मीन भी दूसरे के हाथ में नहीं जाने देगी। उन्होंने कहा कि हाल ही में लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर जो कुछ भी हुआ और जिस तरह से हमारे जवानों ने बहादुरी से जवाब दिया, इतिहासकार हमारे जवानों की वीरता और साहस के बारे में सुनहरे शब्दों में लिखेंगे।

सिक्किम में बीआरओ द्वारा निर्मित एक एक्सल रोड का ई-उद्घाटन करने के बाद राजनाथ सिंह ने कहा कि 19.35 किलोमीटर लम्बे वैक्लपिक एनएच 310 का निर्माण करके, BRO ने पूर्वी सिक्किम के निवासियों एवं सेना की आकांक्षाओं को पूरा किया है। बीआरओ द्वारा सिक्किम के अधिकांश सीमावर्ती सड़कों का डबल लेन में अपग्रेडेशन किया जा रहा है। इसमें से ईस्ट सिक्किम में 65 किलोमीटर सड़क निर्माण-कार्य प्रगति पर है, तथा 55 किलोमीटर सड़क निर्माण योजना के तहत है।



उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के दिशा-निर्देश में, पूर्वोत्तर राज्यों में इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। BRO के पास पूर्वोत्तर क्षेत्र में कुल 8090 किमी लम्बाई की सड़के हैं। इनमें से 5734 किमी. निर्माण योजना में है। नॉर्थ सिक्किम में भारतमाला परियोजना के अन्तर्गत ‘मंगन-चुगथांग-यूमेसेमडोंग’ और ‘चुगंथांग-लाचेन-जीमा-मुगुथांग-नाकुला’ तक 225 किलोमीटर डबल लेन सड़क का निर्माण कार्य नियोजित है। ये कार्य 9 पैकेजों में नियोजित किए गए हैं, जिनकी अनुमानित लागत 5710 करोड़ रुपए है।

टीम स्टे टुडे


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