हरियाणा की राजनीति एक बार फिर से गर्मा उठी है। भाजपा को समर्थन दे रहे तीन निर्दलीयों ने सरकार से समर्थन वापस लेते हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने का एलान कर दिया है। रोहतक में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के साथ निर्दलीय विधायक दादरी से सोमबीर सांगवान, पूंडरी से रणधीर गोलन और नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंधर ने कांग्रेस के समर्थन का एलान किया है।
मंगलवार को तीनों विधायक रोहतक पहुंचे और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान की मौजूदगी में प्रेसवार्ता की। अब इन तीनों विधायकों के कांग्रेस के समर्थन में आने के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या हरियाणा में सैनी सरकार संकट में है।
राज्य में नायब सैनी सरकार को समर्थन दे रहे तीन निर्दलीय विधायकों के नाराज होकर अपने समर्थन वापस ले लिया है। इस विधायकों के साथ कांग्रेस का समर्थन करने का ऐलान किया है। तीन निर्दलीय विधायकों ने तो बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके अपने समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया है। यह सब ऐसे वक्त पर हुआ है जब राज्य में कुछ दो महीने पहले ही नेतृत्व परिवर्तन हुआ था। नायब सैनी सरकार से जिन निर्दलीय विधायकों ने समर्थन वापस लिया है। उनमें पुंडरी के विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी के विधायक धर्मपाल गोंदर व चरखी दादरी के विधायक सोमवीर सांगवान शामिल हैं। हरियाणा के रोहतक में तीन निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख उदयभान की मौजूदगी में बीजेपी सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा की। इन विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया। तीन विधायकों के समर्थन वापस लेने से नायब सैनी सरकार अल्पमत में आ गई है।
कांग्रेस के समर्थन का ऐलान
नायब सैनी सरकार ने ध्वनिमत से विश्वासमत हासिल किया था। निर्दलीय चार विधायकों ने लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार करने का ऐलान किया है। 2019 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में 40 सीटें जीती थी। कांग्रेस पार्टी को 31 सीटें मिलीं थी। 10 सीटों पर जेजेपी को जीत मिली थी। 7 सीटें निर्दलीयों के पास गई थी। एक सीट हरियाणा लोकहित पार्टी और 1 सीट इनेलो को मिली थी। वर्तमान में विधानसभा की दो सीटें खाली हैं। इनमें करनाल और रानिया सीटें हैं। करनाल सीट पर लोकसभा के साथ उपचुनाव हो रहा है। ऐसे में वर्तमान में हरियाणा की विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 88 है। हरियाणा में छठवें चरण में लोकसभा चुनाव हैं। बीजेपी राज्य में सभी 10 सीटों पर लड़ रही है तो वहीं कांग्रेस नौ और आम आदमी पार्टी 1 सीट पर चुनाव मैदान में है।
विधानसभा का क्या है अंकगणित
हरियाणा विधानसभा के सदस्यों की संख्या 90
विधानसभा में मौजूदा विधायकों की संख्या 88
मौजूदा संख्या बल के हिसाब से बहुमत 45
बीजेपी 40
कांग्रेस 30
जेजेपी 10
हलोपा 1
इनेलो 1
निर्दलीय 6
हरियाणा विधानसभा में अभी 88 सदस्य हैं। करनाल विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। पूर्व सीएम मनोहर लाल ने इस्तीफा देकर यह सीट मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के चुनाव लड़ने के लिए खाली की थी। निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और अपने विधायकी से इस्तीफा दे चुके हैं। वे हिसार से लोकसभा लड़ रहे हैं। विधानसभा में फिलहाल 88 में से 40 एमएलए बीजेपी के, 30 कांग्रेस, 10 जेजेपा,एक इनेलो और एक हरियाणा लोकहित पार्टी से हैं। वहीं अभी छह सदस्य निर्दलीय हैं। इनमें से तीन कांग्रेस के तो तीन बीजेपी के साथ हैं। 88 सीट में बहुमत के लिए बीजेपी को 45 का आंकड़ा चाहिए। जिनमें 40 विधायक बीजेपी के खुद के हैं तीन निर्दलीय और एक हलोपा के एमएलए का समर्थन बीजेपी को है। ऐसे में यह संख्या 44 तक पहुंचती है, जो बहुमत से एक कम है, और सरकार अल्पमत में आ रही है।
दौलताबाद भी हैं नाराज!
चौथे विधायक राकेश दौलताबाद ने भी कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार करने का ऐलान किया है। दौलताबाद गुरुग्राम की बादशाहपुर सीट से विधायक हैं। राकेश दौलताबाद 2019 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के मनीष यादव को हराकर ही विधानसभा पहुंचे थे। बीजेपी ने मनोहर लाल के पहले कार्यकाल में पीडब्ल्यूडी मंत्री राव नरबीर सिंह का टिकट काटकर मनीष यादव को मैदान में उतारा था। दौलताबाद ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की थी। हरियाणा के साढ़े नौ साल तक मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल करनाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं तो वहीं मौजूदा सीएम नायब सैनी करनाल विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं।
नायब सैनी ने कांग्रेस पर बोला हमला
हरियाणा में निर्दलीय विधायकों के साथ छोड़ने के सवाल पर मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। सैनी ने कहा हां हमें इसकी सूचना मिली है। कई विधायकों की अपनी इच्छाएं होती हैं। कांग्रेस इन दिनों इच्छाएं पूरी करने में लगी हुई है। सैनी ने कहा कि कांग्रेस को लोगों की इच्छाएं से लेना देना नहीं है। सैनी ने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में जनता कांग्रेस की इच्छा पूरी करेगी। सैनी ने कहा कि लोग सब जानते हैं।
2019 में ऐसे बनी थी सरकार
हरियाणा में 90 हलके हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा में भाजपा ने 40 सीटों पर जीत दर्ज की थी और बहुमत का आंकड़ा छुने में असफल रही थी। वहीं, इनेलो से अलग होकर बनी जननायक जनता पार्टी के दस विधायक बने थे। सात निर्दलीयों ने भी जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के खाते में 31 सीट तो इनेलो और हरियाणा लोकहित पार्टी के खाते में एक एक सीट आई थी। इस स्थिति में भाजपा ने जजपा के साथ गठबंधन किया और करीब साढ़े चार साल तक प्रदेश में सरकार चलाई। इस दौरान कांग्रेस की आदमपुर सीट कुलदीप बिश्नोई के भाजपा में शामिल होने से खाली हुई और वहां उपचुनाव में उनके बेटे ने जीत दर्ज की और भाजपा के प्रदेश में 41 विधायक हो गए। वहीं, कांग्रेस के पास तीस विधायक रह गए।
लोकसभा चुनाव से पहले टूटा गठबंधन, निर्दलियों के सहारे से बनी सरकार
लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा और जजपा का सीट शेयरिंग को लेकर गठबंधन टूट गया। सामने आया कि जजपा भिवानी और हिसार लोकसभा की सीट मांग रही थी, तो भाजपा ने इन्हें रोहतक सीट ऑफर की थी। इसके बाद 12 मार्च को लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में भाजपा-जजपा गठबंधन टूट गया। चंडीगढ़ में भाजपा विधायक दल की बैठक के बाद सीएम अपने मंत्रिमंडल के साथ राजभवन पहुंचे और पूरी कैबिनेट का इस्तीफा सौंपा। जजपा से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा के पास अपने 41, छह निर्दलीयों और एक हलोपा विधायक का समर्थन था। जजपा के कुछ विधायक भी भाजपा के साथ आते दिखाई दिए, लेकिन विहिप जारी होने के कारण सदन से बाहर चले गए और ध्वनी मत से सैनी सरकार ने फ्लोर टेस्ट पास कर लिया। महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू भी सरकार के खिलाफ पहले से ही मोर्चा खाले हुए हैं।
अब क्या है विधानसभा की स्थिति
फिलहाल हरियाणा विधानसभा में 90 में से 88 सदस्य हैं। करनाल विधानसभी सीट पर उपचुनाव होने हैं, क्योंकि पूर्व सीएम मनोहर लाल ने इस्तीफा देकर यह सीट मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के चुनाव लड़ने के लिए खाली की थी। निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला भाजपा में शामिल हो चुके हैं और अपने विधायकी से इस्तीफा दे चुके हैं। विधानसभा में फिलहाल 88 में से 40 एमएलए भाजपा के, 30 कांग्रेस, 10 जजपा, एक इनेलो और एक हरियाणा लोकहित पार्टी से हैं। वहीं अभी छह सदस्य निर्दलीय हैं। इनमें से तीन कांग्रेस के तो दो भाजपा समर्थन में हैं। महम से विधायक बलराज कुंडू भी सरकार के खिलाफ मुखर हैं। 88 सीट में बहुमत के लिए भाजपा को 45 का आंकड़ा चाहिए। जिनमें 40 एमएलए भाजपा के खुद के हैं दो निर्दलीय और एक हलोपा के एमएलए का समर्थन भाजपा को है।
ऐसे में संख्या 43 तक पहुंचती है, जो बहुमत से दो कम है और सरकार अल्पमत में आ रही है। इससे सैनी सरकार संकट में आ गई है, लेकिन कुछ जजपा विधायक भी भाजपा को समर्थन का एलान कर चुके हैं। ऐसे में अभी के लिए ये खतरा सरकार से टल सकता है और 25 मई को करनाल में उपचुनाव का नतीजा भी सरकार का फैसला कर सकता है। अगर यहां नायब सिंह सैनी जीत जाते हैं तो भी जजपा के विधायकों के समर्थन के भाजपा सरकार संकट में रहेगी। तीन विधायकों की समर्थन वापसी ने सैनी सरकार पर संकट के बादल जरूर ला दिए हैं।
हुड्डा की राष्ट्रपति शासन की मांग, CM बोले- MLAs की कुछ इच्छाएं होती हैं, कांग्रेस पूरी करने में लगी
हरियाणा में तीन निर्दलीय विधायकों की ओर से सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। उन्होंने सरकार पर निशाना साधा और कहा कि जनभावना के हिसाब से तीनों विधायकों ने फैसला लिया है। कांग्रेस की लहर चल रही है और इस लहर में इनका भी योगदान होगा।
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