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दुनिया में मोबाइल – ऑनलाइन गेमिंग बाजार, क्या है भारत की स्थिति



कितना बड़ा है गेमिंग का बाज़ार


दुनिया की बात करें तो 2019 में गेमिंग का बाज़ार 16.9 अरब डॉलर का है। इसमें 4.2 अरब डॉलर की हिस्सेदारी के साथ चीन सबसे आगे है। दूसरे नंबर पर अमरीका, तीसरे नंबर पर जापान और फिर ब्रिटेन और दक्षिण कोरिया का नंबर आता है।


ये आँकड़े statista.com के हैं। भारत में भी इस इंडस्ट्री का विस्तार तेज़ी से हो रहा है लेकिन अब भी ये एक अरब डॉलर से भी कम का है। भारत रेवेन्यू के मामले में गेमिंग के टॉप पाँच देशों में नहीं है। लेकिन बाक़ी देशों के लिए उभरता हुआ बाज़ार ज़रूर है।

भारत में गेमिंग स्ट्रीमिंग साइट, रूटर्स के सीईओ पीयूष कुमार के मुताबिक़, "भारत में सिर्फ़ पबजी की बात करें तो इस गेम के 175 मिलियन डाउनलोड्स हैं, जिसमें से एक्टिव यूज़र 75 मिलियन के आसपास हैं। चीन से ज़्यादा लोग भारत में पबजी खेलते हैं। कमाई की बात करें तो वो भारत से बहुत कम होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि पैसा ख़र्च कर गेम खेलने वालों की तादाद भारत में कम है।


क्या इसका मतलब ये हुआ कि भारत सरकार के इस तथाकथित 'डिजिटल स्ट्राइक' का असर चीन पर 'ना' के बराबर होगा?


भारत में गेम खेलने वालों की तादाद दुनिया के दूसरे बड़े देशों के मुक़ाबले ज़्यादा है इसलिए भविष्य में 'गेमिंग हब' के तौर पर भारत को देखा जा रहा है। अगर किसी कंपनी को भारत के बाज़ार से बाहर निकलना पड़ेगा, तो उस पर असर उसके यूज़र बेस पर ज़रूर पड़ेगा।

यूज़र बेस की बात करें तो भारत में 14 साल से लेकर 24 साल के बच्चे और युवा ऑनलाइन गेम को सबसे ज़्यादा खेलते हैं। लेकिन पैसा ख़र्च करने की बात करें तो 25 से 35 साल वाले ऑनलाइन गेमिंग पर ख़र्च ज़्यादा करते हैं।

कैसे होती है गेमिंग से कमाई?



ऑनलाइन गेमिंग में कई तरह से कमाई होती है। गेमिंग से पैसा कमाने का एक मॉडल है फ्रीमियम का - यानी पहले फ्री में दो और बाद में प्रिमियम (किश्तों में) ख़र्च करने को कहो।


दूसरा मॉडल होता है - उससे जुड़े मर्चन्डाइज़ बना कर। बच्चों में ख़ास कर उनसे जुड़े कैरेक्टर, टी-शर्ट, कप प्लेट, कपड़ों का क्रेज़ बहुत बढ़ जाता है। गेम से प्रभावित होकर अक्सर उन चीज़ों की ख़रीद बढ़ जाती है, जिससे भी कंपनियाँ कमाई करती हैं।

और कमाई का तीसरा रास्ता होता है उस पर आधारित विज्ञापन और फिल्में बना कर। कई बार फ़िल्मों पर आधारित गेम्स आते हैं। फ़िल्म की लोकप्रियता गेम्स के प्रचार प्रसार में मदद करती है और कभी गेम्स की लोकप्रियता फ़िल्मों के प्रचार प्रसार में मदद करती है।

जो लोग इस गेम को प्रोफ़ेशनल तरीक़े से खेलते हैं उनको सरकार के इस क़दम से नुक़सान पहुँच सकता है। कई गेम्स खेलने वाले यूट्यूब पर भी बहुत पापुलर हैं. इस तरह के गेम्स ऑर्गेनाइज़ करने वालों को भी काफ़ी नुक़सान होगा। लेकिन टिकटॉक पर बैन के बाद पबजी बैन की चर्चा शुरू हो गई थी। ऐसे में बहुत लोगों ने पहले ही दूसरे गेम्स पर शिफ्ट करना शुरू कर दिया था।


फ़िलहाल रूटर्स की बात करें तो उनके पास 'फ्री फायर' और 'कॉल ऑफ ड्यूटी' खेलने वालों की तादाद ज़्यादा है। 'फ्री फ़ायर' सिंगापुर की कंपनी ने बनाया है और भारत में इसे खेलने वालों की संख्या अभी पाँच करोड़ के आसपास है और 'कॉल ऑफ ड्यूटी' के यूज़र्स लगभग डेढ़ करोड़ के आसपास हैं।

भारत में हर तरह के मोबाइल और ऑनलाइन गेम खेलने और देखने वालों की संख्या लगभग 30 करोड़ है, जो लॉकडाउन में बढ़ती है जा रही है। कुछ भारतीय गेम्स भी हैं जो यहाँ के लोगों में पापुलर है जैसे बबल शूटर, मिनीजॉय लाइट, गार्डन स्केप, कैंडी क्रश।

चूंकी पिछले चार-पाँच महीने से लोग और ख़ास कर बच्चे घरों से बाहर नहीं जा रहे, तो गेमिंग का बाज़ार अपने आप में बढ़ता जा रहा है।

गेमशन टेक्नलॉजिज़ के मुताबिक लॉकडाउन के पहले उनके प्रतिदिन एक्टिव यूज़र लगभग 13 से 15 मिलियन होते थे, जो लॉकडाउन में 50 मिलियन हो गए। उनकी कमाई में भी पाँच गुना इज़ाफ़ा हुआ है। इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का मानना है कि अभी गेमिंग इंडस्ट्री का पीक आना बाक़ी है।


टीम स्टेट टुडे



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