लैब टू लैंड नारे को साकार कर रही योगी सरकार
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनेंगे कृषि विज्ञान केंद्र
केंद्रों को स्वावलंबी और रोजगारपरक बनाने की योजना
लखनऊ, 12 जुलाई। खेतीबाड़ी और इससे जुड़े सेक्टर्स की तरक्की की एक बुनियादी शर्त है। संबंधित सेक्टर्स के एस संस्थाओं में होने वाले शोध कार्य यथा शीघ्र किसानों तक पहुंचे। इसी बाबत कई वर्षों पूर्व "लैब टू लैंड" का नारा दिया गया था। इसमें खेती बाड़ी से जुड़े एक्सटेंशन कर्मियों की महत्त्व पूर्ण भूमिका होती है।
किसानों के हितों के प्रति प्रतिबद्ध योगी सरकार एक्सटेंशन कार्यक्रमों के विस्तार के जरिए इस नारे का साकार कर रही है।
किसान कल्याण केंद्र, रबी और खरीफ के सीजन में न्याय पंचायत स्तर पर द मिलियन फार्मर्स कार्यक्रम, प्रदेश से लेकर मंडल और जिला स्तर पर आयोजित कृषि उत्पादक गोष्ठियां इसका प्रमाण हैं।
इस पूरे कार्यक्रम को गति देने में सर्वाधिक अहम भूमिका हर जिले में बने कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके )की भूमिका सबसे अहम होती है। यही वजह है कि योगी सरकार ने आते ही यह लक्ष्य रखा कि हर जिले में एक और जरूरत के अनुसार बड़े जिलों में दो कृषि विज्ञान केंद्र होने चाहिए। सात साल पहले तो कई जिलों में ये केंद्र थे ही नहीं। आज इन केन्द्रों की संख्या 89 हैं ।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए 18 केंद्र चयनित
अगले चरण में योगी सरकार की योजना क्रमशः इन केंद्रों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने की है। इस क्रम में पहले चरण में दिसंबर 2023 में 18 कृषि विज्ञान केंद्रों का चयन किया गया।
इस बाबत 26 करोड़ 36 लाख की परियोजना स्वीकृत करने के साथ 3 करोड़ 57 लाख 88 हजार रुपये की पहली किश्त भी की जारी की गई।
चयन में इस बात का ध्यान रखा गया है कि अलग कृषि विश्विद्यालयों से संबद्ध ये केंद्र प्रदेश के हर क्षेत्र से हों। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस चुने जाने के साथ संबंधित केंद्रों की बुनियादी सुविधाएं बेहतर करने के साथ वहां की परंपरा और कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार उनको किस सेक्टर पर अधिक फोकस करना है,इस बाबत भी निर्देश दिए हैं
मसलन गोरखपुर की कृषि जलवायु के मद्देनजर वहां हॉर्टिकल्चर पर फोकस है। केंद्र के हॉर्टिकल्चर विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर एस पी सिंह के मुताबिक तराई का क्षेत्र होने के नाते यहां बागवानी की। अधिक संभावना है। आम, अमरूद और लीची पर अधिक फोकस है। केंद्र में आम की करीब 12 प्रजातियों के पौधों की नर्सरी तैयार की जा रही है। किसानों को अरुणिमा और अंबिका जैसी प्रजातियों की खूबियों से अवगत कराया जा रहा है। ये प्रजातियां रंगीन होने के कारण आकर्षक हैं। साथ ही ऊंचाई कम होने के कारण रखरखाव में भी आसान।
इसी तरह क्षेत्र की कृषि जलवायु के मद्देनजर अमरूद की सात प्रजातियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। केंद्र की नर्सरी में करीब दो दर्जन दुर्लभ पौधे भी हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा केवीके को क्रमशः आत्म निर्भर और रोजगार परक बनाने की है। लिहाजा प्रिजर्वेशन यूनिट में फलों के अंचार ,जैम, जेली,पाउडर बनाने की सुविधा है। इस बाबत सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया जाता है। बागों के रखरखाव के लिए माली प्रशिक्षण भी इसीकी एक कड़ी है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस घोषित होने के बात आधारभूत सुविधाओं में अभूतपूर्व सुधार हुआ है।
जिले जिनके केवीके सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनने हैं
मऊ, बलरामपुर, गोरखपुर सोनभद्र, चन्दौली, बांदा, हमीरपुर,
बिजनौर, सहारनपुर, बागपत , मेरठ, रामपुर, बदायूँ ,अलीगढ़, इटावा, फतेहपुर और मैनपुरी । इन सबके लिए पहली किस्त की राशि भी जारी कर दी गई है।
दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए योगी सरकार 10 हजार पशु सखियों को करेगी प्रशिक्षित
- ग्रामीण आबादी और पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए योगी सरकार चला रही विभिन्न कार्यक्रम
- यूपीएसआरएलएम और पशुपालन विभाग पायलट प्रोजेक्ट के तहत 25 जिलों के 50 विकास खंडों में लागू करेगा कार्यक्रम
- शुरुआत में 2000 पशु सखियों को ए-हेल्प एजेंट के रूप में किया जाएगा प्रशिक्षित
- दो साल में 10,000 एजेंटों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य
- पशु सखियों की वार्षिक आय में 60 हजार तक की बढ़ोतरी में सहायक बनेगा ए-हेल्प कार्यक्रम
लखनऊ, 12 जुलाई: योगी सरकार के प्रयासों से जहां प्रदेश में एक ओर दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्राें में रहने वाले किसानों एवं पशुपालकों के आय में वृद्धि दर्ज की गयी है। इसी के तहत अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पशुधन और ग्रामीण आबादी के विकास व उनकी स्थाई आय बढ़ाने के लिए ए-हेल्प कार्यक्रम का संचालन करने जा रहे हैं, जिसे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और पशुपालन विभाग के संयुक्त प्रयास से संचालित किया जाएगा। इस कार्यक्रम को पहले पायलट प्रोजेक्ट के तहत अगस्त माह के पहले हफ्ते में लांच किया जाएगा। शुरुआत में इसे 25 जिलों के 50 विकास खंडों में लागू किया जाएगा, जिसके बाद योगी सरकार इसे पूरे प्रदेश में लागू करेगी। इसके अंतर्गत अगले दो साल में 10 हजार पशु सखियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
ए-हेल्प कार्यक्रम के जरिये दो हजार पशु सखियों को किया जाएगा प्रशिक्षित
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन डायरेक्टर दीपा रंजन ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप ग्रामीणों की आय बढ़ाने एवं उच्च गुणवत्ता के दुधारु पशुओं की संख्या बढ़ाने के लिए लगातार प्रदेश भर में विभिन्न कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। इसी के तहत पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश के 25 जिलों के 50 विकास खंडों में ए-हेल्प कार्यक्रम का संचालन किया जाएगा। इसका उद्देश्य सरकारी पशु चिकित्सालयों के साथ समन्वय बनाना है ताकि आवश्यक पशु चिकित्सा सेवाओं जैसे एथनो-वेट प्रथाओं, पशु रोगों की रोकथाम, समय पर टीकाकरण, कृमिनाशक दवाएं, कृत्रिम गर्भाधान, पशु बीमा आदि को गांव स्तर पर ही उपलब्ध कराया जा सके। वहीं योगी सरकार का लक्ष्य है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में 2,000 पशु सखियों को ए-हेल्प एजेंट के रूप में प्रशिक्षित करना है। अगले दो वर्षों में यह संख्या बढ़कर 10,000 एजेंटों तक पहुंचने की उम्मीद है, जिससे कार्यक्रम की पहुंच और प्रभाव में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।
पशु सखियों की आय में बढ़ोतरी का सारथी बनेगा ए हेल्प कार्यक्रम
मिशन डायरेक्टर ने बताया कि ए-हेल्प कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पशु सखियों की आय को बढ़ावा देना है, जिससे उनकी वार्षिक आय 60,000 रुपये तक बढ़ सकती है। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के तहत कवर किए गए जिलों और विकास खंडों में मिशन स्टाफ का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है। इसके अलावा, पशु सखियों को आवश्यक कौशल और ज्ञान से लैस करने के लिए प्रशिक्षण योजनाएं विकसित की गई हैं ताकि वे अपनी भूमिकाओं को प्रभावी ढंग से निभा सकें। प्रशिक्षण सत्रों की सफल समाप्ति के साथ ए हेल्प कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए मंच तैयार है। यह एकीकृत दृष्टिकोण न केवल पशुधन उत्पादकता और स्वास्थ्य में सुधार करेगा, बल्कि ग्रामीण समुदायों को पशुपालन से अधिकतम आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए आवश्यक ज्ञान और संसाधनों से भी सशक्त बनाएगा।
अवैध खनन वाले क्षेत्रों की सैटेलाइट से निगरानी कराएगी योगी सरकार
- नई तकनीक के जरिए अवैध खनन पर करारी चोट की तैयारी में सरकार
- अवैध खनन वाले वाहनों को ट्रैक करने के लिए वीटीएस प्रणाली लागू करने की तैयारी
- ईंट भट्ठों को भी रिमोट सेंसिंग के जरिए चिह्नित करेगी सरकार
- खनन क्षेत्रों का ड्रोन से भी होगा सर्वे, प्रवर्तन कार्यों के लिए यूनिफॉर्म का भी प्रस्ताव
लखनऊ, 12 जुलाई। प्रदेश में अवैध खनन की शिकायतों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंभीर रुख अख्तियार किया है। सीएम के निर्देश पर भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग बड़े स्तर पर टेक्नोलॉजी के उपयोग से अवैध खनन पर प्रभावी अंकुश लगाने की तैयारी में है। इसके लिए सैटेलाइट से अवैध खनन वाले क्षेत्रों की निगरानी की जाएगी। साथ ही अवैध खनन में लगे वाहनों को वीटीएस प्रणाली के जरिए ट्रैक किया जाएगा। यही नहीं ईंट भट्ठों को भी रिमोट सेंसिंग के जरिए चिह्नित किया जाएगा।
प्राप्त हो गया है यूपीडेस्को से प्रस्ताव
विभाग के अधिकारियों के अनुसार अवैध खनन/परिवहन की रोकथाम के लिए तकनीकी सुदृढ़ीकरण को लेकर कई प्रस्ताव तैयार हैं। इनमें व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) और रिमोट सेंसिंग सबसे महत्वपूर्ण हैं। वीटीएस के जरिए उपखनिज का परिवहन करने वाले वाहनों की रियल टाइम ट्रैकिंग संभव हो सकेगी। यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि वाहन पर ई-अभिवहन प्रपत्र तब ही जारी हो, जब वह वाहन खनन क्षेत्र के लिए जियो फेंस एरिया में प्रत्यक्ष उपस्थित हो। वीटीएस प्रणाली को लागू करने के लिए यूपीडेस्को से प्रस्ताव प्राप्त हो गया है। इसके अलावा अन्य तकनीकी संस्थाओं से भी प्रस्ताव मांगा गया है।
इन्फोर्समेंट की कार्रवाई के दौरान वर्दी में होंगे कर्मचारी
अवैध खनन/परिवहन की रोकथाम के लिए रिमोट सेंसिंग का भी सहारा लिया जाएगा। इसमें विभाग द्वारा पहले ही निदेशालय स्तर पर रिमोट सेंसिंग लैब को स्थापित किया जा चुका है। इसके जरिए नए खनन क्षेत्रों के पहचान के लिए सैटेलाइट इमेजरी तैयार की जाएगी। साथ ही अवैध खनन का चिह्नांकन किया जाएगा। यही नहीं ईंट भट्ठों को भी रिमोट सेंसिंग के माध्यम से चिह्नित किया जाएगा। प्रदेश में 15444 ईंट भट्ठे पंजीकृत हैं। साथ ही ड्रोन सर्वे के जरिए खनन क्षेत्रों के सर्वे तथा खनन के स्वीकृत क्षेत्रों का पर्यवेक्षण भी किया जाएगा। विभाग इन्फोर्समेंट की कार्रवाई के लिए वाहनों की संख्या भी बढ़ाने की तैयारी में है। अबतक प्रदेश के 55 जिलों में ही इन्फोर्समेंट के कार्य के लिए वाहन रखने की स्वीकृति है। जल्द ही इसे प्रदेश के सभी जिलों के लिए स्वीकृत करने का प्रस्ताव भेजा गया है। यही नहीं इन्फोर्समेंट की कार्रवाई के दौरान कर्मचारियों के लिए यूनिफॉर्म की भी व्यवस्था की जाएगी।
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