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योगी कैबिनेट में विस्तार की सुगबुगाहट तेज

chandrapratapsingh

लखनऊ, 28 नवंबर 2023 : पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) को लेकर लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता दिलाने के लिए सोमवार को चेन्नई में पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में पहुंचे। उन्होंने यहां भी जातीय जनगणना व आरक्षण के मुद्दे को धार दी। सपा से लेकर अन्य क्षेत्रीय दल लोकसभा चुनाव को एक बार फिर कमंडल बनाम मंडल करने की तैयारी में हैं। उत्तर से लेकर दक्षिण तक क्षेत्रीय पार्टियां इस मुद्दे पर एकजुट हैं।

सपा मुखिया ने चेन्नई में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि ''यह प्रतिमा लग जाने के बाद वो लोग जिन्हें हजारों वर्ष से न्याय की उम्मीद थी, बराबरी की उम्मीद थी वो हमारे साथ खड़े होकर इस लड़ाई को और मजबूत बनाने का काम करेंगे। उन्होंने आगे कहा दिल्ली की सरकारों ने हमें और आपको कभी अधिकार नहीं दिया वह निजीकरण की तरफ जा रही हैं। हमारी आपकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।'' अखिलेश यादव के इस उद्बोधन से भी उनके इरादे साफ हैं। पार्टी आरक्षण के जरिए पिछड़ों को एकजुट करने में जुटी हुई है।

तमिलनाडु में करुणानिधि के बेटे एमके स्टालिन की डीएमके सरकार है। इस कार्यक्रम में कांग्रेस सहित विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए के अन्य सहयोगियों को न बुलाया जाना और सपा मुखिया को विशेष अतिथि बनाए जाने के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। जातीय जनगणना अब विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। सपा, जेडीयू व आरजेडी जैसी क्षेत्रीय पार्टियां इसके समर्थन में हैं। कांग्रेस भी अब इस मुद्दे के समर्थन में आ गई है।

विश्वनाथ प्रताप सिंह जब प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू कर पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया था। इसलिए उनको सामाजिक न्याय का मसीहा माना जाता है। अब उनके नाम के सहारे पिछड़ों की राजनीति को एक बार फिर आगे बढ़ाया जा रहा है। एमके स्टालिन भी अखिलेश यादव के साथ मिलकर वीपी सिंह के सहारे मंडल की राजनीति को केंद्रीय स्तर पर हवा देने में लगे हुए हैं।

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। भाजपा इसके जरिए हिंदू मतदाताओं को एकजुट रखने की कोशिश में है। भाजपा की इस रणनीति को कमंडल की राजनीति माना जा रहा है। इसी कमंडल की काट के लिए सपा सहित अन्य क्षेत्रीय दल जातीय जनगणना व आरक्षण का मुद्दा गरमाने में जुटे हुए हैं।

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