लखनऊ, 26 नवंबर 2023 : उप्र कांग्रेस की बहुप्रतीक्षित नई कार्यकारिणी आखिरकार शनिवार शाम घोषित कर दी गई। पार्टी ने नई कार्यकारिणी में युवा और नए चेहरों पर भरोसा जताने के साथ ही सबसे ज्यादा महत्व पिछड़ा वर्ग को दिया है। 2022 के विधानसभा चुनाव में चालीस प्रतिशत महिलाओं को टिकट देने तथा संसद में 33 प्रतिशत महिलाओं के आरक्षण के लिए सबसे पहले कदम बढ़ाने का दावा करने वाली कांग्रेस ने अपने संगठन में ही महिलाओं की उपेक्षा की है।
नई कार्यकारिणी में कुल 130 पदाधिकारियों में केवल तीन महिलाएं शामिल हैं। इनमें सरिता पटेल महासचिव, अर्चना राठौर और पूर्वी वर्मा को सचिव बनाया गया है। उपाध्यक्ष एक भी महिला नहीं है। इसे लेकर कांग्रेस की कथनी व करनी को लेकर बड़े सवाल भी उठ रहे हैं। नई कार्यकारिणी में 16 उपाध्यक्षों के अलावा 38 महासचिव व 76 सचिव शामिल हैं। जातिवार गणना की हिमायत कर रही कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी में सर्वाधिक 43 पदाधिकारी पिछड़ा वर्ग के हैं।
माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले विपक्षी गठबंधन को ध्यान में रखते हुए पार्टी पिछड़ा वर्ग को साधने का खास प्रयास कर रही है। दूसरे नंबर पर 41 पदाधिकारी सामान्य वर्ग के हैं, जबकि 22 मुस्लिम व 23 दलित चेहरों को भी स्थान दिया है। कार्यकारिणी में लगभग 35 प्रतिशत दलित-मुस्लिम चेहरों को शामिल कर जातीय संतुलन बनाने का प्रयास भी किया गया है। पार्टी ने आने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सभी वर्गों को साधने का पूरा ध्यान रखा है। दूसरे दलों से आए नेताओं को भी कार्यकारिणी में जगह दी गई है।
88 ऐसे पदाधिकारी हैं, जिनकी उम्र 50 वर्ष व उससे कम है। वर्ष 2022 में गठित पिछली कार्यकारिणी में आठ उपाध्यक्ष समेत लगभग 140 पदाधिकारी शामिल थे। दोगुणा उपाध्यक्ष नियुक्त कर पार्टी के भीतर भी नेताओं को बड़ा पद देकर संतुष्ट करने का प्रयास किया गया है। पार्टी ने सवर्ण अजय राय को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने के बाद दूसरे नंबर पर 41 पदाधिकारी सामान्य वर्ग से बनाए हैं। इससे साफ है कि कांग्रेस की नजर दलित-मुस्लिम गठजोड़ के साथ अन्य वर्गों पर भी उतनी ही है।
अजय राय पदभार ग्रहण करने के तीन माह बाद नई कार्यकारिणी का गठन कर सके हैं। उनसे पहले प्रदेश अध्यक्ष रहे बृजजाल खाबरी का कार्यकाल लगभग 11 माह रहा, लेकिन वह कार्यकारिणी का गठन नहीं कर सके थे। पुरानी कार्यकारिणी के लगभग 70 सदस्यों को नई टीम में जगह दी गई है।नई कार्यकारिणी में कानपुर के शरद मिश्रा को उपाध्यक्ष बनाया गया है, जबकि कानपुर के ही पूर्व विधायक संजीव दरियाबादी तथा पूर्व विधायक सोहिल अंसारी को भी उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इससे यह भी साफ है कि कांग्रेस की नजर अपने पुराने गढ़ रहे कानपुर व उसके आसपास की सीटों पर भी है।
एक भी पूर्व प्रांतीय अध्यक्ष को कार्यकारिणी में जगह नहीं मिली है। सपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व सांसद रवि वर्मा की बेटी पूर्वी वर्मा को सचिव बनाया गया है। भाजपा छोड़कर पहले सपा और फिर बीते दिनों कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व विधायक राकेश राठौर को महासचिव नियुक्त किया गया है। लखनऊ में कांग्रेस के पार्षद मुकेश सिंह चौहान को महासचिव बनाया गया है।
पुराने नेताओं को किनारे करने से पार्टी के एक धड़े में असंतोष भी है। कुछ नेताओं का कहना है कि अनुभवी नेताओं की अनदेखी पार्टी को लोकसभा चुनाव में भारी पड़ सकती है। प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि नई कार्यकारिणी में सभी क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व के साथ युवा चेहरों को मौका दिया गया है। दिसंबर के पहले सप्ताह में नई कार्यकारिणी की बैठक होगी।
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